शिमला 10 जुलाई, 2025
आपदा प्रभावित परिवारों के लिए पुनर्वास नीति पर विचार कर रही है सरकार: मुख्यमंत्र
· आपदा प्रभावित क्षेत्रों में बहाली कार्यों के लिए सात करोड़ रुपये की राहत राशि की घोषण
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सेराज विधानसभा क्षेत्र के आपदा प्रभावित क्षेत्रों के अपने दूसरे दिन के दौरे के दौरान थुनाग, बग्सियाड़, देजी, बारा और स्यांज गांवों का दौरा किया और हाल ही में हुई बादल फटने की घटनाओं से हुए नुकसान का जायजा लिया। उन्होंने पीड़ितों को राज्य सरकार की ओर से हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया।
मुख्यमंत्री ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों के लिए तत्काल सात करोड़ रुपये की राहत राशि की घोषणा की। इससे पहले दो करोड़ रुपये पहले ही जारी किए जा चुके हैं और अब दो-दो करोड़ रुपये लोक निर्माण विभाग और जल शक्ति विभाग को दिए जाएंगे, जबकि एक करोड़ रुपये की राशि विकास खंड कार्यालय को बहाली कार्यों में तेजी लाने के लिए प्रदान की जाएगी।
देज़ी गांव में बादल फटने की घटना के कारण 11 लोग अब भी लापता हैं, जबकि बारा में दो और स्यांज गांव में चार लोगों की मृत्यु की पुष्टि हुई है और पांच लोग लापता हैं। मुख्यमंत्री ने मृतकों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की और शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की।
मुख्यमंत्री ने पखरार पंचायत घर में लोगों से बातचीत की, उनकी समस्याएं सुनीं और राजस्व अधिकारियों को सभी प्रकार के नुकसान का तुरंत मूल्यांकन करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जिन आवासों में अभी भी मलबा या चट्टानें भरी हैं या जो रहने लायक नहीं रह गए हैं, उन्हें पूरी तरह क्षतिग्रस्त घोषित किया जाए ताकि प्रभावितों को अधिकतम मुआवजा दिया जा सके। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि सरकार घर के सामान और मवेशियों के नुकसान की भरपाई भी करेगी।
श्री सुक्खू ने बागवानों और सेब उत्पादकों को हुए नुकसान का विशेष रूप से मूल्यांकन करने के निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि राज्य मंत्रिमंडल जल्द ही इस आपदा से प्रभावित लोगों के लिए एक विशेष राहत पैकेज पर निर्णय लेगा। उन्होंने कहा कि यह आपदा व्यापक थी और पुनर्वास में समय लगेगा, लेकिन सरकार लोगों के साथ पूरी तरह खड़ी है।
बारा में मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार आपदा प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए एक बार की पुनर्वास नीति लाने पर विचार कर रही है। चूंकि हिमाचल प्रदेश की 68 प्रतिशत भूमि वन भूमि है, इसलिए केंद्र सरकार से वन भूमि पर पुनर्वास की अनुमति मांगी जाएगी।
छात्रों की पढ़ाई में कोई बाधा न आए, इसके लिए मुख्यमंत्री ने कहा कि थुनाग में वानिकी एवं बागवानी महाविद्यालय की अस्थायी कक्षाएं मंडी जिले के सुंदरनगर में संचालित की जाएंगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्य सड़कों को खोल दिया गया है और गांवों को जोड़ने वाली सड़कों को बहाल करने का कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है।
थुनाग विश्राम गृह में राहत कार्यों में जुटे एनसीसी कैडेट्स ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने पीड़ित मानवता की सेवा में जुटे कैडेट्स के समर्पण की सराहना की। स्कूल की छात्राओं ने उन्हें अपने स्कूल को हुए नुकसान की जानकारी दी, जिस पर मुख्यमंत्री ने थुनाग में सीबीएसई से संबद्ध स्कूल खोलने का आश्वासन दिया।
मुख्यमंत्री ने एसडीआरएफ कर्मियों से भी बातचीत की और उनकी प्रतिबद्धता की प्रशंसा की।
भारतीय सेना के ब्रिगेडियर यजुवेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री को राहत कार्यों की जानकारी दी और बताया कि क्षेत्र में वर्तमान में 26 सेना के जवान तैनात हैं।
मुख्यमंत्री ने इस संकट के समय में भारतीय सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस, होम गार्ड्स और विभिन्न संगठनों के स्वयंसेवकों की निःस्वार्थ सेवा के लिए सभी का आभार प्रकट किया।
इस अवसर पर एपीएमसी अध्यक्ष संजीव गुलेरिया, कांग्रेस नेता चेत राम, जगदीश रेड्डी, विजय पाल सिंह, जीवन ठाकुर, नरेश चौहान, लाल सिंह कौशल, उपायुक्त अपूर्व देवगन, एसपी साक्षी वर्मा और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।